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Rudraabhishek Niyam : इस दिन भूलकर भी न करें रुद्राभिषेक होता है मृत्युतुल्य कष्ट, जानें शिववास के अनुसार रुद्राभिषेक के नियम

रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक शक्तिशाली अनुष्ठान है। यह माना जाता है कि रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रुद्राभिषेक को हर दिन नहीं किया जा सकता? शिववास के अनुसार कुछ विशेष दिन ऐसे होते हैं जब रुद्राभिषेक करना वर्जित होता है। आइए जानते हैं रुद्राभिषेक के नियम और शिववास के अनुसार रुद्राभिषेक का सही दिन कौन सा है।

शिववास क्या है?

शिववास, एक रहस्यमयी और पवित्र अवधारणा है जो हिंदू धर्म में गहराई से व्याप्त है। यह एक खगोलीय घटना की तरह है, जहां भगवान शिव, ब्रह्मांड के आदिदेव, एक निश्चित काल के लिए एक विशिष्ट स्थान पर निवास करते हैं। यह अवधारणा, भारतीय ज्योतिष और धर्म के अनंत जाल में एक महत्वपूर्ण तार है।

शिव, परिवर्तन के देवता हैं। वे स्थिर नहीं रहते, बल्कि सृष्टि के विभिन्न पहलुओं को संतुलित करने के लिए निरंतर विचरण करते रहते हैं। उनके इस निवास काल को ही शिववास कहते हैं। यह माना जाता है कि जब शिव किसी विशेष स्थान पर निवास करते हैं, तो उस स्थान की ऊर्जा और प्रभाव अद्वितीय हो जाता है।

शिववास का ज्ञान प्राचीन काल से ही ऋषियों और मुनियों को प्राप्त था। वे इसे पंचांग और ज्योतिषीय गणनाओं के माध्यम से निर्धारित करते थे। शिववास के अनुसार पूजा-अर्चना करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं, ऐसा विश्वास है।

इस प्रकार, शिववास, समय और स्थान का एक अद्भुत मिलन है, जो भक्तों को भगवान से जुड़ने का एक विशेष अवसर प्रदान करता है। यह अवधारणा, भारतीय धर्म और संस्कृति की गहराइयों से जुड़ी हुई है और आज भी आस्थावानों के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक सिद्धांत है।

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रुद्राभिषेक के नियम

तिथि: रुद्राभिषेक के लिए शुक्ल पक्ष की एकादशी, त्रयोदशी और पूर्णिमा का दिन शुभ माना जाता है। कृष्ण पक्ष की तिथियों में रुद्राभिषेक करना वर्जित है।

वार: सोमवार को भगवान शिव को समर्पित दिन होता है। इसलिए, सोमवार को रुद्राभिषेक करना बहुत शुभ माना जाता है।

नक्षत्र: रोहिणी, मृगशिरा और श्रवण नक्षत्र में रुद्राभिषेक करना शुभ होता है।

योग: शुभ योग जैसे अमृत योग, रवियोग आदि में रुद्राभिषेक करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।

शिववास: रुद्राभिषेक उस दिन नहीं करना चाहिए जब भगवान शिव का निवास श्मशान या किसी अन्य अशुभ स्थान पर हो।

शिववास के अनुसार रुद्राभिषेक का सही दिन कैसे पता करें?

शिववास जानने के लिए आप पंचांग का सहारा ले सकते हैं। पंचांग में हर दिन भगवान शिव का निवास स्थान दिया होता है। आप किसी पंडित से भी सलाह ले सकते हैं।

रुद्राभिशेक न करने के दिन

त्रयोदशी: कुछ शास्त्रों के अनुसार, त्रयोदशी तिथि को रुद्राभिषेक करना वर्जित है।
षष्ठी: षष्ठी तिथि को भी रुद्राभिषेक नहीं करना चाहिए।
शिववास श्मशान में हो: यदि शिववास श्मशान में हो तो उस दिन रुद्राभिषेक करना वर्जित है।

रुद्राभिषेक के लाभ

रुद्राभिषेक, भगवान शिव को समर्पित एक शक्तिशाली अनुष्ठान है, जो न केवल भक्ति भाव को बढ़ाता है बल्कि कई तरह के लाभ भी प्रदान करता है। यह माना जाता है कि रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में कई तरह की समस्याओं का समाधान होता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि रुद्राभिषेक करने से हमें क्या-क्या लाभ प्राप्त होते हैं:

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1. मनोकामनाओं की पूर्ति:

दुःखों का निवारण: भगवान शिव सभी दुःखों को हरने वाले हैं। रुद्राभिषेक करने से जीवन में आ रही सभी समस्याओं का समाधान होता है।

धन-धान्य की प्राप्ति: भगवान शिव धन के देवता कुबेर के स्वामी हैं। रुद्राभिषेक करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।

विवाह में बाधाओं का निवारण: विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए रुद्राभिषेक किया जाता है। यह विवाह योग को मजबूत बनाता है।

संतति प्राप्ति: संतान प्राप्ति के लिए भी रुद्राभिषेक किया जाता है। यह संतान प्राप्ति के योग को मजबूत बनाता है।

कार्य सिद्धि: किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए रुद्राभिषेक किया जाता है। यह कार्य सिद्धि में सहायक होता है।

2. रोगों से मुक्ति:

रुद्राभिषेक करने से शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और शरीर को स्वस्थ रखता है।
यह मानसिक रोगों जैसे तनाव, चिंता और अवसाद को दूर करने में मदद करता है।
रुद्राभिषेक नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

3. शत्रुओं का नाश:

रुद्राभिषेक करने से शत्रुओं का नाश होता है और उनका प्रभाव समाप्त हो जाता है।
यह दुश्मनों से रक्षा करता है और व्यक्ति को सुरक्षित रखता है।

4. मोक्ष प्राप्ति:

रुद्राभिषेक करने से मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। यह व्यक्ति को मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर करता है।

5. अन्य लाभ:

रुद्राभिषेक बुद्धि का विकास करता है और व्यक्ति को ज्ञानी बनाता है।
रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति को कीर्ति और यश मिलता है।
यह आत्मविश्वास में वृद्धि करता है और व्यक्ति को सकारात्मक बनाता है।

रुद्राभिषेक के लाभ व्यक्ति के कर्मों और भक्तिभाव पर निर्भर करते हैं। नियमित रूप से रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति को अधिक लाभ प्राप्त होते हैं।

निष्कर्ष

रुद्राभिषेक एक शक्तिशाली अनुष्ठान है, लेकिन इसे सही विधि और सही समय पर करना बहुत जरूरी है। शिववास के अनुसार रुद्राभिषेक करने से आपको अधिक लाभ प्राप्त होगा। इसलिए, रुद्राभिषेक करने से पहले किसी पंडित से सलाह अवश्य लें।

ध्यान दें: यह जानकारी सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान से पहले किसी जानकार व्यक्ति से सलाह अवश्य लें।

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यह जानकारी निम्नलिखित विषयों पर आधारित है:

रुद्राभिषेक: यह एक हिंदू धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें भगवान शिव की पूजा की जाती है।
शिववास: यह भगवान शिव का निवास स्थान है।
तिथि: हिंदू पंचांग में एक दिन को दर्शाता है।
नक्षत्र: हिंदू ज्योतिष में चंद्रमा के 27 नक्षत्रों में से एक।
योग: हिंदू ज्योतिष में ग्रहों की स्थिति के आधार पर बनने वाला एक संयोग।

अस्वीकरण: यह जानकारी केवल सूचना के उद्देश्य से है और किसी भी तरह से पेशेवर सलाह नहीं है। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान से पहले किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें।

Sai Chandhan

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