सावधान! केक के दीवानों के लिए चिंताजनक खबर: रेड वेलवेट समेत 12 तरह के केक में मिला कैंसर का एजेंट
मौका चाहे कोई भी हो, खुशी के पलों को सेलिब्रेट करने के लिए लोग अक्सर केक काटते हैं। बर्थडे, एनिवर्सरी या कोई और खुशी का मौका, केक हर जगह का अभिन्न हिस्सा है। विशेषकर रेड वेलवेट और ब्लैक फॉरेस्ट केक कई लोगों के पसंदीदा हैं। लेकिन हाल ही में बेंगलुरू से आई एक रिपोर्ट ने केक प्रेमियों के लिए चिंता की लहर दौड़ा दी है। इस रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि रेड वेलवेट जैसे 12 प्रकार के केक में कैंसर का कारण बनने वाले हानिकारक एजेंट पाए गए हैं।
रिपोर्ट का संक्षेप
कर्नाटक की विभिन्न बेकरियों से लिए गए 235 केक सैंपल में से 12 सैंपल में कैंसर का कारण बनने वाले हानिकारक केमिकल पाए गए हैं। कर्नाटक सरकार ने खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर एक चेतावनी जारी की है, जो कि कई महीनों से चल रही जांच का परिणाम है। खाद्य सुरक्षा आयुक्त श्रीनिवास ने राज्य की बेकरियों को असुरक्षित केमिकल और एडिटिव्स के इस्तेमाल को लेकर चेतावनी दी है।
केक सैंपल में पाए गए हानिकारक केमिकल
रिपोर्ट के मुताबिक, जिन केक सैंपल की जांच की गई, उनमें अल्लुरा रेड, सनसेट येलो एफसीएफ, पोंसेउ 4आर, टार्ट्राजिन और कार्मोइसिन जैसे आर्टिफिशियल रंग पाए गए। ये सभी रंग सुरक्षा सीमा से अधिक मात्रा में मौजूद थे। यह स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है, क्योंकि रेड वेलवेट और ब्लैक फॉरेस्ट जैसे लोकप्रिय केक इन हानिकारक केमिकल्स के संपर्क में आ गए हैं।
कैंसर का खतरा
इन केमिकल्स की मौजूदगी के बाद स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ये कैंसर और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। आर्टिफिशियल रंगों के अत्यधिक सेवन से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
शोध और अध्ययन
जानवरों पर किए गए अध्ययन से यह संकेत मिला है कि कुछ आर्टिफिशियल रंग कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। उच्च मात्रा में प्रयोग किए जाने वाले रंगों ने चूहों में ब्रेन ट्यूमर की वृद्धि को दिखाया है। उदाहरण के लिए, एरीथ्रोसिन नामक एक विवादास्पद लाल रंग ने चूहों में थायराइड ट्यूमर के मामलों में वृद्धि करने में योगदान दिया।
इसके अतिरिक्त, रेड 40, येलो 5, और येलो 6 जैसे रंगों में बेंजिंडाइन, 4-एमिनोबिफेनिल और 4-एमिनोएजोबेंजीन जैसी कार्सिनोजेनिक अशुद्धियां हो सकती हैं, जो विभिन्न शोध अध्ययनों में कैंसर का कारण मानी गई हैं।
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि जानवरों पर किए गए शोध के निष्कर्षों को मानव स्वास्थ्य पर खतरे के संदर्भ में सीधे तौर पर नहीं लिया जा सकता है। पिछले उदाहरणों में, बेंगलुरू में स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण कॉटन कैंडी और “गोबी मंचूरियन” जैसे स्ट्रीट फूड में रोडामाइन-बी जैसे आर्टिफिशियल रंगों के इस्तेमाल के लिए बैन लगाया गया था।
उपभोक्ताओं के लिए सलाह
इस रिपोर्ट के बाद उपभोक्ताओं को सलाह दी गई है कि वे केक और अन्य बेक्ड उत्पादों की खरीदारी करते समय सतर्क रहें। खाद्य सुरक्षा से संबंधित जागरूकता बढ़ाने के लिए, लोगों को केक खरीदते समय उसकी सामग्री की जांच करनी चाहिए और असुरक्षित रंगों से दूर रहना चाहिए।
इस घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया है कि खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी है। उपभोक्ताओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए और ऐसे उत्पादों से दूर रहना चाहिए जो उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। खुशी के मौकों को सेलिब्रेट करने का यह तरीका सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्धक होना चाहिए, ताकि हम सभी खुशी के पलों का आनंद ले सकें।
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